अपने टूटे टुकड़ों को देखकर कभी,
खुद पर तरस मत खाना !
बस इन्हें ,
बड़े प्यार से, बहुत संभाल कर, इक्खट्टा करना ।
ज़रा ज़ोर देने इन पर ,
और मेहनत और वक़्त के ताप से ;
अपने उन हिस्सों को ,
जिनके यह टुकड़े बिखरे मिले हैं तुम्हें ,
उन्हें, फिरसे पूरा कर के दिखाना ।
अपने टुकड़ों पर तरस खाकर ,
बेचारा मत बनना !
बस ज़िंदगी में, खुद पर मेहनत करना ।
खुद पर निरंतर, मेहनत करते रहना ।।
©FreelancerPoet
Such profound words and wise thoughts at such a young age! Tum kis mitti se banei ho, Abhishek! Zindagi mein tumse bohot kuch sikhna hain, yaar!
🙏 Much respect.