तौफा ज़ख्मों का, वो दे गया ;
जिससे, वफ़ा माँगी थी हमने ।
खुदा माना था जिसे ;
वो, जहँनूम में छोड़ कर गया ।
मगर, जो तजुर्बा हमें इससे मिला ,
इसके लिए खुदा, तेरा शुक्रिया ।
हम तो यूहीं बेवज़ह ,
भटकते मुसाफिर थे यहाँ ।
मगर, हमें जीने की वजह जो दे कर गया ;
इसके लिए खुदा, उसका शुक्रिया ।
जो खो गया, उसका अब ग़म नहीं ;
की, जो मिला इस सिलसिले से,
वो था कम नहीं !
जो भी मिला, उसके लिए ख़ुदा, तेरा शुक्रिया ।
जो भी हुआ, उसके लिए, ख़ुदा तेरा शुक्रिया ।।
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