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औरों की बात पर,
इतना भी गौर न कर;
के तेरे सपने ,
हकीकत होने की आस में है !
नज़रों को अपनी,
तू बस,अपनी राह पर टिका कर रख;
के तेरी मंज़िल,
तेरे ही तलाश में है ।
तो यह आवाज़ें ,
जो तेरी राह से कोसों दूर हैं ,
इन्हें, अनसुना कर,
तू बस सफर पर अपने चल ।
के जिस आवाज़ की तलाश है तुझे ,
वो आवाज़ कहीं और नहीं !
तेरी ही सफर में ,
तेरे इंतेज़ार में हैं ।
वो आवाज़ कहीं और नहीं !
तेरे ही सीने में ,
तेरे पास में है ।
©FreelancerPoet